कालसर्प दोष क्या हैं ?
कालसर्प दोष कितनी प्रकार के होते है ?
कैसे पता चलता हैं की आपकी कुंडली मे कालसर्प योग हैं ?
कालसर्प दोष निवारण के उपाय क्या हैं ?
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ज्योतिष में कुल नौ ग्रह बताए गए हैं। ये 9 ग्रह कुंडली के 12 भावों में अपनी स्थितियों के अनुसार फल देते हैं। इनके अनुसार ही कुंडली में दोष व उनका निवारण भी बताया गया है। इन्ही में से एक दोष में से एक है कालसर्प दोष। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में 9 में से 7 ग्रह राहु-केतु के बीच में आ जाते हैं तो कालसर्प दोष बनता है और ऐसा माना जाता है कि कालसर्प दोष के व्यक्ति को जीवन में सफलता नहीं मिल पाती है। परेशानियां बनी रहती हैं और पारिवारिक सुख भी नहीं मिल पाता है। अगर आप पर भी काल सर्प का दोष है तो शिवजी की पूजा करने से इससे छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा इन आसान उपायों से भी इस दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
इन बातों से जाने की कहीं आप पर भी तो नहीं काल सर्प दोष
– कालसर्प योग से प्रभावित व्यक्ति को बुरे सपने आने लगते हैं।
– अकारण ही मन में डर बना रहता है।
– रात में डर के कारण बार-बार नींद खुल जाती है।
– सपने में बार-बार सांप दिखाई देता है।
– हमेशा ऐसा अहसास रहता है कि कोई आपके पास खड़ा है।
– कड़ी मेहनत के बाद अंतिम पड़ाव पर काम ना होना।
– घर-परिवार और कार्य स्थल पर अनचाहे वाद-विवाद होते रहते हैं।शत्रुओं की संख्या बढ़ जाती है।
– किसी गंभीर बीमार का इलाज होने पर भी फायदा नहीं होता है।
कालसर्प दोष निवारण के उपाय
– कालसर्प दोष होने पर शिवजी की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए।
– किसी पवित्र नदी में चांदी या तांबे से बना नाग-नागिन का जोड़ा प्रवाहित करें।
– हर शनिवार पीपल को जल चढ़ाएं और पीपल की सात परिक्रमा करें।
– समय-समय पर गरीबों को काले कंबल का दान करें।
– उज्जैन या नासिक में कालसर्प दोष की पूजा करवाएं।
कालसर्प योग के प्रकार
अनंत कालसर्प योग – जब लग्न में राहु और सातवें भाव में केतु हो और उनके बीच समस्त अन्य ग्रह इनके मध्या में हो तो अनंत कालसर्प योग बनता है।
कुलिक कालसर्प योग – जब जन्म कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें में केतू हो और और सारे ग्रह उनके बीच हों, तो यह योग कुलिक कालसर्प योग कहलाता है।
वासुकी कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह उसके बीच हों।
शंखपाल कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवे में केतु हो और उनके बीच सारे ग्रह हों।
पद्म कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु और ग्याहरवें भाव में केतु हो और सभी ग्रह इनके बीच हों ।
महापद्म कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके बीच हों ।
तक्षक कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और लग्न भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके बीच हों।
कर्कोटक कालसर्प योग – अाठवें भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके बीच में हों।
शंखनाद कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के नौवे भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है।
पातक कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के दसवें भाव में राहु और चौथे भाव में केतु हो और सभी सातों ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो यह पातक कालसर्प योग कहलाता है।
विषाक्तर कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य में हो तो यह योग बनता है।
शेषनाग कालसर्प योग – जब जन्मकुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके बीच हों।
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