अनुष्ठान प्रसंग

शतचंडी अनुष्ठान

शक्तिरूपिणी माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और उनकी ममतामयी कृपा पाने के लिए शतचंडी यज्ञ एक अमोघ अनुष्ठान है। शतचंडी दो शब्दों के युग्म से बना है। शत अर्थात सौ और चंडी अर्थात चंडी पाठ (दुर्गा सप्तशती पाठ) मतलब सौ चंडी पाठ का एक महान यज्ञ शतचंडी यज्ञ कहलाता है। शतचंडी यज्ञ एक बहुत ही शक्तिशाली अनुष्ठान है जिसे सामान्यतः रोग से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, बिगड़ी ग्रह स्थिति सुधारने और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

संतान बाल गोपाल अनुष्ठान

बहुत से दम्पत्तियों को जीवन में सभी सुखों के होते हुए भी संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है. पति – पत्नी दोनों में से किसी एक या दोनों की ही कुंडली में यदि संतान से सम्बंधित ग्रह दोष हो तो यह समस्या विकट हो जाती है. संतान गोपाल अनुष्ठान आपकी कुंडली के दोष का निवारण कर संतान प्राप्ति की संभावनाओं को प्रबल बनाती है. हिन्दू धर्म के अनुसार कृष्ण जी के बाल गोपाल स्वरूप को सर्वाधिक पूजनीय माना जाता है। संतान बाल गोपाल अनुष्ठान मैं भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. निसंतान दम्पत्तियों के लिए यह अनुष्ठान बेहद शुभ और लाभकारी माना गया है.

गृह प्रवेश

गृह प्रवेश की पूजा करवाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। घर का शुद्धिकरण हो जाता है, इससे घर में कोई भी नकारात्मकता होती है, तो वह दूर हो जाती है। गृह प्रवेश की पूजा में हम अपने इष्ट देव को पूजते हैं, जिससे घर में देवी देवताओं का वास होता है।

वास्तु शांति

आप जब भी कोई नया घर या मकान खरीदते हैं तो उसमं प्रवेश से पहले उसकी वास्तु शांति करायी जाती है। जाने अनजाने हमारे द्वारा खरीदे या बनाये गये मकान में कोई भी दोष हो तो उसे वास्तु शांति करवा के दोष को दूर किया जाता है। इसमें वास्तु देव का ही विशेष पूजन किया जाता है जिससे घर में सुख शांति बनी रहती है।